प्रेमचंद अपने युग की नवीन चेतना से प्रभावित थे, वह स्वयं उसके निर्माता थे। अनेक राजनीतिज्ञों की तुलना में वह वर्तमान और भविष्य - दोनों को ज्यादा स्पष्टता से देखते थे। फिर भी संयुक्त परिवार से उन्हें मोह था। इस मोह के बावजूद इस प्राचीन परिवार- प्रथा के दोषों का जैसा विशद चित्रण उन्होंने किया है, वैसा किसी दूसरे कलाकार ने नहीं।176

15 प्रेमाश्रम और गोदान:कुछ अन्य समस्याए

प्रेमाश्रम में विशुद्ध भारतीय शिक्षा-पध्दति का कोई प्रतिनिधि है ही नहीं, इसलिए उसमें भारतीय शिक्षा और पाश्चात्य शिक्षा की टक्कर के चित्रण की कल्पना करना व्यर्थ है।191

गांधीजी पर अंग्रेज लेखक रस्किन और रूसी लेखक तोल्स्तोय का गहरा असर था। अहिंसा और निष्क्रिय प्रतिरोध के जरिए सामाजिक समस्याएँ हल की जाएँ, वर्ग संघर्ष को वर्ग-सहयोग में बदल दिया जाए, इस तरह की विचारधारा का प्रसार भारत से बाहर अधिक था। भारतीय जनमानस पर रामायण और महाभारत का गहरा असर है। राम और कृष्ण इन दो महानायकों में अहिंसावादी कोई नहीं है। 191

ट्रस्टीशिप का सिद्धान्त भारतीय नहीं है, इसलिए भारतीय और पश्चिमी जीवन-दृष्टियों की बात करना व्यर्थ है।-196

 प्रेमचंद ने प्रेमाश्रम में लिखा था, "सत्याग्रह में अन्याय का दमन करने की शक्ति है, यह सिद्धान्त भ्रांतिपूर्ण सिद्ध हो गया।"। कह सकते है कि प्रेमाश्रम गाँधीवाद की विफलता चित्रित करने वाला उपन्यास है।-198

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