अंजो दीदी
उपेन्द्रनाथ अश्क (1910 -1996 )
- यह 1954 में प्रकाशित हुआ।
पात्र
पहला अंक
- अंजलि (अंजो )
- इन्द्रनारायण (वकील )-अंजो का पति
- अनिमा (अन्नो )
- मुन्नी (नौकरानी )
- श्रीपत (अंजलि का भाई )
- राधू (नौकर )
- नीरज (उम्र 11 वर्ष )-अंजलि का बेटा
दूसरा अंक
- ओमी (नीरज की पत्नी )
- अन्नो (नीरज की मौसी )
- नजीर (नीरज का दोस्त )
- श्रीपत (नीरज का मामा )
- मुन्नी
- चपरासी
- इन्द्रनारायण
- नीरज (उम्र 31 वर्ष )
- नीलम (नीरज का पुत्र ,11 वर्ष )
- ओमी (नीरज की पत्नी )
- अन्नो (नीरज की मौसी )
- नजीर (नीरज का दोस्त )
- श्रीपत (नीरज का मामा )
- मुन्नी
- चपरासी
- इन्द्रनारायण
- नीरज (उम्र 31 वर्ष )
- नीलम (नीरज का पुत्र ,11 वर्ष )
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मुख्य कथन
- वक्त की पाबंदी सभ्यता की पहली निशानी है -अंजली अनिमा से
- बच्चों को अपनी मदद आप करने की आदत डालनी चाहिए -अंजली अनिमा से
- सुघड़ापा स्त्री का गहना है और सदाचार पुरुष का। -अंजली अनिमा से
- जीवन स्वयं एक महान घड़ी है। प्रातः संध्या उसकी सुइया है। नियम बद्ध एक- दूसरे के पीछे घूमती रहती है। -अंजली, अनिमा से
- शिष्टाचार शादी का ,यो कह लो ,की बंधन का प्रतीक है। उधर आपकी शादी हुई ,इधर आपके गले में शिष्टाचार का जुआ पड़ा। -श्रीपत ,अनिमा से
- आचार -व्यवहार के सभी कानून कायदे शादीशुदा लोगों के अधेड़ दिमागों की उपज है। -श्रीपत अनिमा से
- भिन्नता जीवन का रस है -श्रीपत इन्द्रनारायण से
- जब इंसान मशीन बन जायेगा तो वह दिन दुनिया के लिए सबसे बड़े खतरे का दिन होगा। इंसान का मशीन बनना सनक का ही दूसरा रूप है। -श्रीपत इन्द्रनारायण से
- मुझे कीचड़ में फेक दो और आशा रखो की मैं अपने कपड़ो को उसके छीटों से बचाये रखू ,यह कैसे संभव है। -नीरज, ओमी से
मुख्य कथन
- वक्त की पाबंदी सभ्यता की पहली निशानी है -अंजली अनिमा से
- बच्चों को अपनी मदद आप करने की आदत डालनी चाहिए -अंजली अनिमा से
- सुघड़ापा स्त्री का गहना है और सदाचार पुरुष का। -अंजली अनिमा से
- जीवन स्वयं एक महान घड़ी है। प्रातः संध्या उसकी सुइया है। नियम बद्ध एक- दूसरे के पीछे घूमती रहती है। -अंजली, अनिमा से
- शिष्टाचार शादी का ,यो कह लो ,की बंधन का प्रतीक है। उधर आपकी शादी हुई ,इधर आपके गले में शिष्टाचार का जुआ पड़ा। -श्रीपत ,अनिमा से
- आचार -व्यवहार के सभी कानून कायदे शादीशुदा लोगों के अधेड़ दिमागों की उपज है। -श्रीपत अनिमा से
- भिन्नता जीवन का रस है -श्रीपत इन्द्रनारायण से
- जब इंसान मशीन बन जायेगा तो वह दिन दुनिया के लिए सबसे बड़े खतरे का दिन होगा। इंसान का मशीन बनना सनक का ही दूसरा रूप है। -श्रीपत इन्द्रनारायण से
- मुझे कीचड़ में फेक दो और आशा रखो की मैं अपने कपड़ो को उसके छीटों से बचाये रखू ,यह कैसे संभव है। -नीरज, ओमी से
Very nice
जवाब देंहटाएंThanks
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