कविता क्या है ?

कविता क्या है ?

आचार्य रामचंद्र शुक्ल 

प्रकाशन वर्ष - 1909 

चिंतामणि भाग -१ में संकलित निबंध जिसका प्रकाशन 1939 में हुआ था। इसमें १७ निबंध है। जिसमे 11 वा निबंध कविता क्या है?संकलित है। 

कविता क्या है निबंध की कुछ मुख्य पंक्तियाँ 

  • मनुष्य अपने भावों ,विचारो और व्यापारों के लिए दूसरों के भावों ,विचार और व्यापारों के साथ कही मिलाता और कही लड़ाता हुआ अंत तक ;चला चलता है और इसी को जीना कहते है। जिस अनंत रूपात्मक क्षेत्र में यह व्यवसाय चलता रहता है उसका नाम है जगत। 
  • जिस प्रकार आत्मा की मुक्तावस्था ज्ञान दशा कहलाती है ,उसी प्रकार हृदय  मुक्तावस्था रसदशा कहलाती है। ह्रदय की इसी मुक्ति की साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द विधान करती आई है ,उसे कविता कहते है।  इस साधना को हम भावयोग कहते है और कर्मयोग और ज्ञानयोग का समकक्ष  मानते है। 
  • कविता ही मनुष्य के ह्रदय की स्वार्थ सम्बन्धों की स्वार्थ सम्बन्धों के संकुचित मंडल से ऊपर उठाकर लोक -सामान्य भाव -भूमि  जाती है जहाँ जगत के नाना गतियों के मार्मिक स्वरुप का साक्षात्कार और शुद्ध अनुभूतियों का संचार होता है ,इस भूमि पर पहुंचे हुए मनुष्य को कुछ काल के लिए अपना पता नहीं रहता। वह अपनी सत्ता को लोक -सत्ता में लीन किये रहता है। उसकी अनुभूति सबकी अनुभूति होती है या हो सकती है। इस अनुभूति -योग के अभ्यास हमारे  मनोविकार का परिष्कार तथा शेष सृष्टि के साथ हमारे रागात्मक संबंध की रक्षा और निर्वाह होता है। 

इस निबंध को १२ भागो में लिखा है  

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