परिंदे -निर्मल वर्मा
रचनाकार का जन्म -1929
मुख्य पात्र
- लतिका -गर्ल्स हॉस्टल की वार्ड
- डॉ मुखर्जी -वर्मा से आए हुए डॉक्टर
- मि ह्यूबर्ट -
- करीमुद्दीन -स्कूल और हॉस्टल की देखभाल करने वाला
- फादर एल्मण्ड
- मिस वुड
- गिरीश नेगी
गौड़ पात्र
- सुधा
- जुली
- हेमंती
नामवर सिंह के अनुसार नयी कहानी आंदोलन की प्रथम कहानी परिंदे है। यह कहानी पर लिखे गए अपनी प्रसिद्ध आलोचनात्मक पुस्तक 'कहानी और नयी कहानी' में कहा।
मुख्य पंक्तियाँ
- होम सिक्नेस ही एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज किसी डॉक्टर के पास नहीं है।
- सुना है अगले दो -तीन वर्षो में यहाँ में यहाँ पर बिजली का इंतजाम हो जायेगा
- इस बचकाना हरकत पर हंसी आयी थी ,उसकी उम्र अभी बीती नहीं है ,अब भी वह दूसरों को अपनी ओर आकर्षित कर सकती है।
- पैरों में स्लीपर को घसीटते हुए वह बड़े आईने तक आयी और उसके सामने स्टूल पर बैठकर बालों को खोलने लगी किन्तु कुछ देर तक कंघी बालों में ही उलझी रही और वह गुमसुम हो शीशे में अपना चेहरा ताकती रही।
- ना ---मैं कुछ भी नहीं सुन रही --किन्तु वह सुन रही है वह नहीं जो गिरीश कह रहा है ,किन्तु वह जो नहीं कहा जा रहा है ,जो उसके बाद कभी नहीं कहा गया ---
- कंटोनमेंट के तीन -चार सिपाही लड़कियों को देखते हुए अश्लील मजाक करते हुए हँस रहे है और कभी -कभी किसी लड़की की और जरा झुककर सीटी बजाने लगते है।
- वह पत्र उसके लिए मैं लज्जित। उसे आप वापिस लौटा दे ,समझ ले की मैंने उसे कभी नहीं लिखा था।
- जंगल की आग कभी देखी है ,मिस वुड ---एक अलमस्त नशे की तरह धीरे -धीरे फैलती जाती है।
- लेकिन डॉक्टर ,कुछ भी कह लो ,अपने देश का सुख कही और मिलता। यहाँ तुम चाहे कितने वर्ष रह लो ,अपने को ,हमेशा अजनबी ही पाओगे
- लतिका देर तक जुली को देखती रही ,जब तक वह आँखों से ओझल नहीं हो गयी। क्या मैं किसी खूसट बुढ़िया से कम हूँ ?अपने आभाव का बदला क्या मैं दूसरों से ले रही हूँ ?
- शायद ---कौन जाने --शायद जुली का यह प्रथम परिचय हो ,उस अनुभूति से जिसे कोई भी लड़की बड़े चाव से सजोकर ,संभालकर अपने में छिपाये रहती है। अनिवर्चनीय सुख ,जो पीड़ा लिये है,पीड़ा और सुख को डुबोती हुई
- उमड़ते ज्वर की खुमारी --जो दोनों को अपने में समो लेती है एक दर्द ,जो आनंद से उपजा है और पीड़ा देता है ---
- वैसे हम सबकी अपनी -अपनी जिद होती है ,कोई छोड़ देता है ,कोई आखिरी तक चिपका रहता है।
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