तीसरी कसम
रचनाकार -फणीश्वर नाथ रेणु
पात्र
- हीराबाई हीरामन
- धुन्नीराम
- पलटदास
मुख्य पंक्तियाँ
- मारंगराज नेपाल से धान और लकड़ी ढो चुका है
- चार खेप सीमेंट और लकड़ी की गाठों ,जोगबानी से विराटनगर फॉरबिसगंज का हर चोर व्यापारी उसको पक्का गाड़ीवान मानता था।
- का हो मामला गोल होखी का ?
- तिस पर बॉस का अगुआ पकड़ कर चलनेवाला भाड़ेदार का महाभाकुआ नौकर ,लड़की स्कूल की ओर देखने लगा हिरामन को लगता है ,दो वर्ष से चम्पानगर मेले की भगवती मैया उस पर प्रसन्न है।
- इस बार यह जनानी सवारी। औरत है या चंपा का फूल जब से गाड़ी मह- मह महक रही है।
- चम्पानगर से सिंधिया गाँव तक फैला हुआ मैदान ---कहीं डाकिन -पिशाचिन तो नहीं ?
- हिरामन की सवारी ने करवट ली। चाँदनी पुरे मुखड़े पर पड़ी तो हिरामन चीखते -चीखते रुक गया अरे बाप !ई तो परी है।
- कुमारी का मतलब हुआ पाँच -सात साल की लड़की।
- बिदागी -नैहर या ससुराल जाती हुई लड़की है।
- जे मैया सरोसती ,अरजी करत बानी
हमरा पर होखू सही है मैया ,हमरा पर होखू सहाई
- बिदेसिया ,बलवाही ,छोकरा ,नाचनेवाला एक से एक गजल खेमटा गाते थे।
- सजनवा बैरी हो गय हमारो !सजनवा
चिठिया हो ते सब कोई बाँचे चिठिया हो तो ---
हाय !करमवा ,होय करमवा
- सजन रे झूठ मत बोलो ,खुदा के पास जाना है
नहीं हाथी ,नहीं घोड़ा ,नहीं गाड़ी
वहाँ पैदल ही जाना है। सजन रे ----
- काहे हो गाड़ीवान ,लीक छोड़ कर बेलीक कहा उधर ?
- इस मुलुक के लोगों की यही आदत बुरी है। रह चलते एक सौ जिरह करेंगे। अरे भाई ,तुमको जाना है ,जाओ ----देहाती भुच्च सब।
- समझती हूँ। उगटनमाने उबटन -जो देह में लगाते है।
- अरे ,तुमसे किसने कह दिया की कुंवारे आदमी को चाय नहीं पीनी चाहिए ?
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