जामुन का पेड़
व्यंग रचना
लेखक -कृष्ण चन्दर
जन्म- 1914
देहावसान -1977
प्रकाशन वर्ष -1960 के दशक में
लोकतांत्रिक ढांचे में शासन प्रशासन में व्याप्त भ्र्ष्टाचार को उजागर करने वाली व्यंग रचना
जामुन का पेड़ व्यंग्यात्मक रचना एक जामुन के पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति का दर्द , जो अंततः शासन , प्रशासन के लापरवाही के कारण दम तोड़ देता है। उसकी कथा है कहानी की शुरुवात होती है व्यक्ति के जामुन के पेड़ के नीचे दबने से जो सेक्रेटेरिएट के लॉन में लगी हुई थी। माली जब एक व्यक्ति को उसके नीचे दबा हुआ देखता है तो वह दौड़ता हुआ चपरासी के पास जाता है। चपरासी क्लर्क के पास और क्लर्क सुपरिंटेंडेंट के पास। सभी लोग फिर उस व्यक्ति को देखने आते है। देखने पर क्लर्क उस व्यक्ति के दबने का ध्यान न देकर वह जामुन के पेड़ के प्रति अपना दर्द बयान करते है।
"बेचारा जामुन का पेड़ कितना फलदार था। पहला क्लर्क"
दूसरे क्लर्क को जामुन का रसीलापन याद आता है।
"इसकी जामुन कितनी रसीली होती थी। दूसरा क्लर्क"
तीसरे क्लर्क को अपने साथ अपने बच्चों की भी याद आ गयी की कितने खुशी से वह जामुन खाते थे।
"मैं फलों के मौसम में झोली भर के ले जाता था। मेरे बच्चे इसकी जामुन कितनी खुसी से कहते थे। तीसरा क्लर्क यह कहते हुए उसका गला भर आया।"
माली सबको जामुन से ध्यान हटाकर उसके नीचे दबे व्यक्ति के प्रति केंद्रित करता है। तब सुपरिंटेंडेंट, अंडर सेक्रेटरी के पास ,अंडर सेक्रेटरी ,डिप्टी सेक्रेटरी के पास ,डिप्टी सेक्रेटरी , जॉइंट सेक्रेटरी के पास जॉइंट सेक्रेटरी चीफ सेक्रेटरी के पास जाते है। इन सब कामों में ही वह अपना आधा दिन बिता देते है।
इसे वाणिज्य विभाग से , कृषि विभाग को भेजा जाता है क्योंकि यह खेती बाड़ी से सम्बंधित है। वह यह कहकर इसे हार्टिकल्चर विभाग में भेज देते है की इस पर फल लगा हुआ है इसका आदेश वही से मिलेगा की इसका क्या करना है।
तीसरे दिन हार्टिकल्चर विभाग अपना सन्देश देते है।
"हैरत है , इस समय जब पेड़ उगाओ स्किम बड़े पैमाने पर चल रही है , हमारे मुल्क में ऐसे सरकारी अफसर मौजूद है। जो पेड़ काटने की सलाह दे रहे है। वह भी फलदार पेड़ को !और वह भी जामुन के पेड़ को !जिसके फल जनता बड़े चाव से खाती है हमारा विभाग किसी भी हालत में पेड़ को काटने की इजाजत नहीं दे सकता।"
एक मनचले व्यक्ति ने आदमी को काट कर निकलने की बात कही और बाद में प्लास्टिक सर्जरी के जरिये जोड़ने की।
"आप जानते नहीं है। आजकल प्लास्टिक सर्जरी के जरिये धड़ की जगह से , इस आदमी को फिर से जोड़ा जा सकता है।"
इसे बिच से काट कर फिर से जोड़ने पर यह जिन्दा रहेगा या नहीं इस लिए रिपोर्ट मेडिकल डिपार्टमेंट में भेजी जाती है।
बाद में पता चलता है की पेड़ के नीचे दबा हुआ व्यक्ति कवि है। उसने 'ओस के फूल' कविता लिखी है। फिर वहाँ कवियों का जमावड़ा लग जाता है। वहाँ कविता होने लगती है।
अंततः फॉरेस्ट डिपार्टमेंट वाले आरी ले कर उसे काटने आते है।
"दूसरे दिन जब फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में आदमी आरी कुल्हाड़ी लेकर चहुंचे तो उनको पेड़ काटने से रोक दिया गया। विदेश विभाग से हुक्म आया की इसे न कटा जाये।"
पेड़ को न काटने का कारण था -
"इस पेड़ को दस साल पहले पिटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने सेक्रेटेरिएट के लॉन में लगाया था।"
अंत में जब आदेश आता है तब सुपरिटेंडेंट उस व्यक्ति को बताने जाता है की कल तुम्हे बचा लिया जायेगा तब तक वह
व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो चूका होता है।
"सुनते हो ?आज तुम्हारी फाइल मुक्कमल हो गई है। सुप्रीटेंडेट ने शायर के बाजू को हिलाकर कहा मगर शायर का हाथ सर्द था। आँखों की पुतलियाँ बेजान थी और चीटियों की एक लम्बी कतार उसके मुँह में जा रही थी।"
"उसकी जिंदगी की फाइल भी मुकम्मल हो चुकी थी।"
"सुनते हो ?आज तुम्हारी फाइल मुक्कमल हो गई है। सुप्रीटेंडेट ने शायर के बाजू को हिलाकर कहा मगर शायर का हाथ सर्द था। आँखों की पुतलियाँ बेजान थी और चीटियों की एक लम्बी कतार उसके मुँह में जा रही थी।"
"उसकी जिंदगी की फाइल भी मुकम्मल हो चुकी थी।"
अन्य जानकारी
आई सी एस सी के पाठ्यक्रम से इसे 2020 में हटा दिया गया।
यह 2015 से उनके पाठ्यक्रम में लगी हुई थी।
आप हिंदी नेट / जे. आर. एफ की तैयारी करना चाहते है।
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