कालिदास -नागार्जुन

कालिदास -नागार्जुन 


कालिदास ,सच सच बतलाना
इंदुमती के मृत्युशोक से 
अज रोया या तुम रोये थे ?
कालिदास ,सच -सच बतलाना। 

शिवजी की तीसरी आँख से 
निकली हुई महाज्वाला में 
घृतमिश्रित सूखी समिधा -सम 
कामदेव जब भस्म हो गया रति का क्रंदन सुन आँसू से 
तुमने ही तो दृग धोये थे ?
कालिदास ,सच- सच बतलाना 
रति रोइ या तुम रोये थे ?

वर्षा ऋतु की स्निग्ध भूमिका 
प्रथम दिवस आषाढ़ मास का 
देख गगन में श्याम घन  घटा 
विधुर यक्ष का मन जब उचटा 
खड़े -खड़े तब हाथ जोड़कर 
चित्रकूट से सुभग शिखर पर 
उस बेचारे ने भेजा था 

जिनके ही द्वारा संदेशा 
उन पुष्करावर्त मेघों का 
साथी बनकर उड़नेवाले 
कालिदास ,सच -सच बतलाना 
परपीड़ा से पुर -पुर हो 
थक -थक कर औ चूर -चूर हो 
अमल -धवल गिरी के शिखरों पर 
प्रियवर ,तुम कब तक सोये थे ?
रोया  यक्ष की तुम रोये थे ?
कालिदास सच -सच बतलाना। 

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