खुरदरे पैर -नागार्जुन
खूब गए
दूधिया निगाहों में
फटी बिवाइयों वाले खुरदरे पैर
धँस गए
कुसुम -कोमल मन में
गुट्ठल घट्ठोंवाली कुलिश -कठोर पैर
दे रहे थे गति
रबड़ -विहीन ठूँठ पैडलों को
चला रहे थे
एक नहीं ,दो नहीं ,तीन तीन चक्र
कर रहे थे मात त्रिविक्रम वामन के पुराने पैरों को
नाप रहे थे धरती का अनहद फासला
घंटो के हिसाब से ढोए जा रहे थे।
देर तक टकराए
उस दिन इस आँखों से वे पैर
भूल नहीं पाउँगा फटी बिवाइयाँ
खुब गई दूधिया निगाहों में
धँस गई कुसुम -कोमल मन में
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